बोर्ड परीक्षाएं लंबे समय से छात्रों और अभिभावकों के लिए चिंता और तनाव का विषय रही हैं। लेकिन अब भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है, जो शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से बदल सकता है। 2026 से बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी, जिससे छात्रों को बेहतर प्रदर्शन का एक और मौका मिलेगा। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत लाया गया है, और शिक्षा मंत्रालय ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी है।

क्या है यह नया बदलाव और क्यों है यह जरूरी?
2026 से शुरू होकर, छात्र हर विषय की परीक्षा वर्ष में दो बार दे सकेंगे। इस फैसले का उद्देश्य छात्रों पर से परीक्षा का दबाव कम करना और उन्हें अपनी गति व समझ के अनुसार पढ़ाई करने का अवसर देना है।
CBSE बोर्ड परीक्षा 2026: अब साल में दो बार होगी परीक्षाएं! शिक्षा मंत्रालय का बड़ा ऐलान
✅ साल में दो मौके:
अब छात्र एक ही विषय की परीक्षा दो बार दे सकते हैं। अगर पहली बार में अंक अच्छे नहीं आए, तो वे दूसरी बार परीक्षा देकर सुधार कर सकते हैं।
✅ बेहतर अंक होंगे मान्य:
दोनों परीक्षाओं में से जिस बार अंक ज्यादा होंगे, उसी को अंतिम अंक के रूप में माना जाएगा।
✅ तनाव होगा कम:
अब छात्र एक ही बार में सबकुछ साबित करने के दबाव में नहीं होंगे। इससे मानसिक तनाव और परीक्षा का डर काफी हद तक कम होगा।
✅ अवधारणात्मक समझ को बढ़ावा:
NEP 2020 का मुख्य फोकस रट्टा लगाने के बजाय कांसेप्ट पर आधारित पढ़ाई को बढ़ावा देना है। दो बार परीक्षा देने से छात्रों को विषयों को गहराई से समझने का समय मिलेगा।
✅ लचीलापन और छात्र केंद्रित व्यवस्था:
यह निर्णय शिक्षा प्रणाली को अधिक लचीला और छात्रों की ज़रूरतों के अनुसार बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
📘 नई बोर्ड परीक्षा नीति (2026 से) – मुख्य जानकारी
बिंदु | पुरानी व्यवस्था | नई व्यवस्था (2026 से लागू) |
---|---|---|
साल में परीक्षा की संख्या | साल में सिर्फ एक बार परीक्षा | साल में दो बार परीक्षा का अवसर |
अंकों में सुधार का मौका | नहीं, केवल एक ही अवसर | हाँ, एक और मौका मिलेगा उसी साल में सुधार के लिए |
कौन से अंक मान्य होंगे? | एक बार दिए गए परीक्षा के अंक | जिस परीक्षा में अंक अधिक होंगे, वही मान्य होंगे |
मूल्यांकन का तरीका | केवल परीक्षा वाले दिन के प्रदर्शन पर आधारित | पूरे साल की सीखने की प्रक्रिया पर ध्यान |
तनाव और दबाव का असर | अत्यधिक तनाव, एक ही मौका | तनाव में कमी, दो मौके होने से आत्मविश्वास बढ़ेगा |
पढ़ाई का तरीका | रट्टा आधारित पढ़ाई | अवधारणात्मक और गहरी समझ पर आधारित पढ़ाई |
छात्रों के लिए लचीलापन | सीमित, तय समय पर परीक्षा | लचीला, छात्र अपनी तैयारी के अनुसार परीक्षा दे सकते हैं |
मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान | आमतौर पर अनदेखा किया जाता था | अब प्राथमिकता दी जा रही है मानसिक स्वास्थ्य को |
NEP 2020 से मेल | नीति से अलग | राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पूर्ण रूप से |
शिक्षकों की भूमिका | सिर्फ सिलेबस पूरा कराने तक सीमित | नवाचार और गहरी सीख में सहयोग की अपेक्षा |
लागू होने का समय | लागू नहीं | 2026 के शैक्षणिक सत्र से लागू |
शिक्षा मंत्रालय का बयान और आगे की राह
शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह बदलाव अब केवल विचार नहीं, बल्कि एक ठोस योजना है जो 2026 से लागू की जाएगी। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत लाए गए सबसे अहम सुधारों में से एक है।
इस फैसले से न केवल छात्रों को फायदा होगा, बल्कि शिक्षकों और स्कूलों को भी अपनी शिक्षण पद्धतियों में बदलाव लाने का अवसर मिलेगा। अब मूल्यांकन केवल परीक्षा के दिन के प्रदर्शन पर आधारित नहीं होगा, बल्कि पूरे शैक्षणिक वर्ष की सीखने की प्रक्रिया को ध्यान में रखकर किया जाएगा।
छात्रों और अभिभावकों के लिए सलाह
अगर आप छात्र हैं या अभिभावक, तो यह बदलाव आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। नीचे दिए गए सुझावों को ध्यान में रखें:
🧘♂️ तनाव न लें – यह मौका है:
इसे अतिरिक्त बोझ न मानें, बल्कि एक और अवसर के रूप में देखें।
📚 नियमित और गहराई से पढ़ाई करें:
दो परीक्षाएं होने का मतलब यह नहीं कि आप लापरवाह हो जाएं। सफलता के लिए नियमित और कांसेप्ट क्लियर पढ़ाई जरूरी है।
🧑🏫 शिक्षकों से संवाद बनाए रखें:
किसी भी संदेह या प्रश्न के लिए अपने शिक्षकों से बात करें। वे आपके सबसे अच्छे मार्गदर्शक हैं।
❤️ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें:
सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि खुद का ख्याल रखना भी ज़रूरी है। एक स्वस्थ दिमाग ही अच्छी पढ़ाई की कुंजी है।
शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव
2026 से साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का निर्णय भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा और स्वागत योग्य बदलाव है। इससे छात्रों को सीखने और सुधारने का एक शानदार मौका मिलेगा। यह सिर्फ परीक्षा प्रणाली में बदलाव नहीं, बल्कि शिक्षा के प्रति सोच में बदलाव है — जहां छात्र का मानसिक स्वास्थ्य, समझ और प्रगति को प्राथमिकता दी जा रही है।
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